The 5-Second Trick For Subconscious Mind Power




जब सुलेमान के उत्तम शासन की धूम मची, तो सब पक्षी उनके सामने विनीत भाव से उपस्थित हुए। जब उन्होंने यह देखा कि सुलेमान उनके दिल का भेद जाननेवाला और उनकी बोली समझने में समर्थ है तो पक्षियों का प्रत्येक समूह बड़े अदब के साथ दरबार में उपस्थित हुआ।

एक सूफी यात्रा करते हुए रात हो जाने पर किसी मठ में ठहरा। अपना खच्चर तो उसने अस्तबल में बांध दिया और आप मठ के भीतर एक मुख्य स्थान पर जा बैठा। मठ के लोग मेहमान के लिए भोजन लाये तो सूफी को अपने खच्चर की याद आयी। उसने मठ के नौकरो को अज्ञा दी अस्तबल में जा और खच्चर को घास और जौ खिला।

साधु बोला, "मैं इस विपत्ति का कारण जानता हूं और मुझे अपने पापों का ज्ञान है। मैंने बेईमानी से अपना मान घटाया और मेरी ही प्रतिज्ञा ने मुझे इसकी कचहरी में धकेल दिया। मैंने जान-बूझकर प्रतिज्ञा भंग की। इसलिए इसकी सजा में हाथ पर आफत आयी। हमारा हाथ हमारा पांव, हमारा शरीर तथा प्राण मित्र की आज्ञा पर निछावर हो जाये तो बड़े सौभाग्य की बात है। तुझसे कोई शिकायत नहीं, क्योंकि तुझे इसका पता नहीं था।"

मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में डाल दिया।

हजरत रसूल ने बीमार से कहा, "तू खुदा से दुआ कर कि वह तेरी कठिनाइयों को आसान करे। ऐ खुदा!

औरत ने कहा, "देख, सूरज चमक रहा है और संसार इससे जगमगा रहा है। खुदा के खलीफा का नायाब जिसके प्रताप से शहर बगदाद इंद्रपुरी बना हुआ है, अगर तू उस बादशाह से मिले तो खुद भी बादशाह हो जायेगा, क्योंकि भाग्यवानों की मित्रता पारस के समान है, बल्कि more info पारस भी इसके सामने छोटा है। हजरत रसूल की निगाह अबू बकर पर पड़ी तो वह उनकी जरा-सी कृपा से इस महान पद को पहुंच गये।"

हजरत मूसा बोला, "अच्छा, ले आज से इन दोनों की बोली समझने का ज्ञान तुझे प्राप्त हो गया।"

जादूगर मिल गया। उसने कहा, "मैं अपनी विद्या से राजकुमार को चुड़ैल के चक्कर से निकाल दूंगा। आप घबराएं नहीं।"

एक साधु पहाड़ों पर रहा करता था। न उसके स्त्री थी और न बच्चे। वह एकान्तवास में ही मगन रहा करता था।

ऐ बीमार चींटी, तेरी यह सामर्थ्य कहां कि खुदा तुझपर इतना बड़ा पहाड़ रक्खे?"

चरवाहे ने जवाब दिया, "ऐ मूसा! अब मैं इस तरह की बातें मुंह से नहीं निकालूंगा। तूने जो मेरे बुद्धि-रुपी घोड़े को कोड़ा लगाया तो वह एक छलांग में सातवे आसमान पर जा पहुंचा। अब मेरी दशा बयान से बाहर है, बल्कि मेरे ये शब्द भी मरे हार्दिक दशा को प्रकट नहीं करते।"

बादशाह का नियम था कि रात को भेष बदलकर गज़नी की गलियों में घूमा करता था। एक रात उसे कुछ आदमी छिपछिप कर चलते दिखई दिये। वह भी उनकी तरफ बढ़ा। चोरों ने उसे देखा तो वे ठहर गये और उससे पूछने लगे, "भाई, तुम कौन हो? और रात के समय किसलिए घूम रहे हो?" बादशाह ने कहा, "मैं भी तुम्हारा भाई हूं और आजीविका की तलशा में निकला हूं।" चोर बड़े प्रसन्न हुए और कहने लगे, "तूने बड़ा अच्छा किया, जो हमारे साथ आ मिला। जितने आदमी हों, उतनी ही अधिक सफलता मिलती है। चलो, किसी साहूकार के घर चोरी करें।" जब वे लोग चलने लगे तो उनमें से एक ने कहा, "पहले यह निश्चय होना चाहिए कि कौन आदमी किस काम को अच्छी तरह कर सकता है, जिससे हम एक-दूसरे के गुणों को जान जायं जो ज्यादा हुनरामन्द हो उसे नेता बनायें।"

Psychologists and psychiatrists make use of the phrase "unconscious" in common practices, in which metaphysical and New Age literature, often utilize the term subconscious. It mustn't, having said that, be inferred the concept with the unconscious and The brand new Age notion from the subconscious are precisely equal, While they both equally warrant thought of mental processes of the Mind.

बादशाह ने कहा, "अपने साथी की प्रशंसा में अति न कर और दूसरे की प्रशंसा के सहारे अपनी प्रशंसा न कर, क्योंकि यदि परीक्षा के लिए इसे मैं तेरे सामने बुलाऊं तो तुझको लज्जित होना पड़ेगा।"

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